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देव श्रीमाली, GWALIOR. सिंधिया राज परिवार की महारानी और केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया ग्वालियर की कैंसर हिल्स का नाम बदलवाने की मुहिम चलाकर सुर्खियों में हैं। आमतौर पर्दे के पीछे और सादगी के साथ काम करने वाली प्रियदर्शिनी राजे और ज्योतिरादित्य सिंधिया की शादी की आज (12 दिसंबर) को सालगिरह है। हालांकि, दोनों को वैवाहिक गठबंधन में बंधे हुए 28 साल का लंबा अरसा गुजर गया, लेकिन ग्वालियर और पूरे अंचल के लोगों में उस शादी के भव्य आयोजन से जुड़ी यादें आज भी जेहन में बसी हैं। माधव राव सिंधिया अपने बेटे की शादी से इतने उत्साहित थे कि उन्होंने लंबे अरसे बाद पूरे महल का रंग रोगन करवाया था। महल परिसर में दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद देने के लिए गांव-गांव के लाखों लोगों को आमंत्रण भेजा था। आशीर्वाद देने पहुंचने वाले हर व्यक्ति को भोजन कराने की भी व्यवस्था की गई थी।
तीन जगह हुए थे ज्योतिरादित्य-प्रियदर्शिनी की शादी के प्रोग्राम
सिंधिया राज परिवार के युवराज ज्योतिरादित्य सिंधिया और बड़ौदा गुजरात के गायकवाड़ राजघराने की राजकुमारी प्रियदर्शनी राजे 12 दिसंबर 1994 में शादी के बंधन में बंधे थे। इस शादी के समारोह काफी दिनों तक चले थे। मुम्बई, दिल्ली और ग्वालियर में कार्यक्रम हुए थे। उस समय माधवराव सिंधिया देश के शीर्षस्थ कांग्रेस नेता थे, इसलिए दिल्ली में हुए रिसेप्शन में देश की सभी बड़ी राजनीतिक हस्तियां जुटीं थी।
माधवराव बेटे की शादी में सबको बुलाना चाहते थे,जबकि सलाहकार डरे हुए थे
माधवराव सिंधिया अपने बेटे की शादी को लेकर बेहद उत्साहित भी थे। उन्होंने इस दौरान पूरे ज्यविलास पैलेस में रंग रोगन कराने का निर्णय लिया, जो काफी खर्चीला काम था। उनकी इच्छा थी कि नए दंपति को आशीर्वाद देने के लिए ग्वालियर-चंबल अंचल का हर नागरिक आए। कहते हैं कि माधवराव के सलाहकार महाराज की इस बात से सहमत नहीं थे। उन्हें लगता था कि इतनी भीड़ को नियंत्रित करना और फिर उनकी व्यवस्था करना असंभव है। माधवराव यह भी चाहते थे कि आशीर्वाद देने जो भी आए, वह मुंह मीठा किए बगैर ना लौटे। यह दुष्कर काम था, लेकिन सिंधिया मानने को तैयार ही नहीं थे और सबको बुलाने पर अड़े थे।
माधवराव ने गांव-गांव भिजवाए थे कार्ड
जयविलास पैलेस में शादी के बाद स्वागत समारोह का आयोजन तय हुआ और आशीर्वाद देने के लिए ग्वालियर-चंबल से लेकर मालवा तक के लोगों को कार्ड भेजे गए। महल परिसर में बीचों-बीच नए दंपति के बैठने के लिए मंच बनाया गया। इसमें बीच में दूल्हा ज्योतिरादित्य और दुल्हन प्रियदर्शिनी बैठी थीं, दोनों के बगल में पिता माधवराव और मां माधवी राजे बैठी थीं।
आशीर्वाद लेने 15 घंटे लगातार बैठे रहे थे सिंधिया
आशीर्वाद देने का सिलसिला दोपहर से ही शुरू हो गया था। इसमें नदी गेट से लंबी कतार लगाई गई थी, जिनमें शामिल हर व्यक्ति मंच तक पहुंचकर आशीर्वाद और बधाई देता हुआ दूसरे गेट से बाहर निकल रहा था। वहीं पर भोजन की व्यवस्था थी और यह सिलसिला देर रात तक चला। इसके बाद सिंधिया राजशाही के पुराने सरदारों के परिजन के साथ डिनर का आयोजन भी हुआ था।
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ऐसे हुई थी लाखों लोगों के लिए डिनर की व्यवस्था
माधवराव सिंधिया सबको बुलाकर भोजन कराने की जिद पर अड़े थे, जबकि व्यवस्था से जुड़े गंगवाल का कहना था कि वे भोजन बनवा तो देंगे लेकिन अनगिनत लोगो को खिलाने की व्यवस्था करना संभव नहीं है। उन्होंने यह बात बगल में बैठे बालेंदु शुक्ला से कही -पंडित जी देखो, कैसे होगा लेकिन करना तो है और व्यवस्था बिगड़नी नहीं चाहिए। बालेंदु शुक्ला और माधव राव सहपाठी थे। हालांकि अब सिंधिया बीजेपी में है और बालेंदु शुक्ला कांग्रेस में और अब दोनों के बीच रिश्ते भी नहीं बचे है। लेकिन तब से माधवराव के सबसे करीबी माने जाते थे। बालेंदु बताते है कि मुझे मालूम था कि माधवराव धुन के पक्के थे। वे मानेंगे नहीं इसलिए मैंने इस कठिन काम के लिए भी हामी भर ली। मैं वहां से उठकर सीधे हाथीखाना पहुंचा। यह महल से सटा बड़ा मैदान था, जो अब कॉलोनियों में तब्दील हो गया है। वहां एक बड़ा हौद था। उसी जगह टेबल कुर्सी लगाकर खाने की व्यवस्था की गई। टेबल के आगे पाइप लगवाए, ताकि भीड़ टेबिलों को ना उलट दे। टेबिलों के आगे परोसने के लिए एक गैलरी बनाई गई और चार पहियों के हाथ ठेलों से सामान सप्लाई की व्यवस्था की गई। हौदी के ऊपर एक बड़ा मंच लगाया गया, जहां से मैंने बैठकर संचालन किया। सिंधिया दो बार उठाकर व्यवस्था देखने भी आए, लेकिन इस चक्कर में मैं रिसेप्शन मंच पर ही नहीं जा सका। हालांकि, सारा आयोजन निर्विघ्न सम्पन्न होने पर माधवराव ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर पीठ ठोकते हुए कहा-पंडित जी मजा आ गया। वे बहुत खुश थे।
सिंधिया ने अरेंज मैरिज की थी लेकिन दोनों पहले मिल चुके थे
कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से पढ़ाई करने वाली प्रियदर्शनी राजे मूलतः बड़ौदा राजघराने की राजकुमारी है। इस स्कूल को मुंबई में फोर्ट कॉन्वेंट के नाम से भी जाना जाता है। स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने मुंबई में सोफिया कॉलेज फॉर वुमन में ए़डमिशन लिया था। इसी दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया से बात चली। प्रियदर्शनी और ज्योतिरादित्य दिसंबर 1994 में शादी के बंधन में बंधे। वैसे तो यह एक अरेंज मैरिज थी, लेकिन दोनों की पहली मुलाकात दिल्ली में एक प्रोग्राम में हुई थी, तब ज्योतिरादित्य अमेरिका में पढ़ते थे और प्रियदर्शनी मुंबई में। एक बार मीडिया को दिए इंटरव्यू में ज्योतिरादित्य ने कहा था- मैं पहले दिन से ही जानता था कि प्रियदर्शनी मेरे लिए ही बनी है, वहीं एक है जिससे मैं शादी करना चाहूंगा।